हरेक मनुष्य को दुसरे मनुष्य के साथ केसा व्यवहार करना चाहिए उसका विवक , विचार जो करते है उसका नाम ही धर्म है । सब मनुष्य का एकदूसरे के प्रति व्यवहार सदभाव और सदाचार तरफी होना चाहिए एसा सदाचार ही मानवधर्म है.
जो सत्य है,अहिंसात्मक है, तारक है , उपकारक है, धारक है , हितकारक है, वोही सच्चा धर्मं है.
स्वामी चिदानंदजीमहाराज .
Tuesday, January 13, 2009
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