श्रीमंत और ज्ञानी दोनों धन और ज्ञान द्वारा शान्ति खोजते है । लेकिन शान्ति धन या ज्ञान से कभी नही मिलती .धन का जेसे मानव को अभिमान होता है। ऐसाही ज्ञानी को ज्ञान का अभिमान होता है .जहा अहंकार होता है .वहा शान्ति केसे मिलती है ।
ज्ञानमार्ग में सब छोड़ना पड़ता है । और भक्तिमार्ग में सब समर्पण करने की बात है । छोड़ नही सकते हो तो इश्वर को समर्पण करना शिखो ।
नींद में तुम्हें जो सपने दिखाई देते है वो तुम्हारा दयेय नही है। लेकिन जो सपना तुम्हारी नींद को उडादे वोही तुम्हारा दयेय है .
Thursday, February 5, 2009
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1 comment:
" जो सपना तुम्हारी नींद को उडादे वोही तुम्हारा दयेय है. "
ખુબ સરસ
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